Essay in Hindi on Mahatma Gandhi

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महात्मा गांघी का प्रसिद्ध भजन:-

रघुपति राघव राजा राम, पतित पवन सीता राम 

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।

 

 

essay in hindi on mahatma gandhi
( 1869-1948 )

 

Essay in Hindi On Mahatma Gandhi | महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में 

भारत के ” राष्ट्रपिता ” महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पुर्ण नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता जी का नाम करमचंद गांधी था।महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई था। जो की करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थी।  मोहनदास, करमचंद गांधी की चौथी पत्नी के पुत्र थे। महात्मा गांधी ब्रिटिश शासन के खिलाप थे इसलिए उन्हें आज भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और राष्ट्रपिता माना जाता है।

महात्मा गांधी जी का परिवार :- 

महात्मा गांधी की माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक थी। वह नियमित रूप से मंदिर में प्रार्थना करती थी। अतः उनके परिवार में किसी भी सदस्य के बीमार होने पर वह उनकी सेवा में दिन रात एक कर देती थी। मोहन दास जी का पालन-पोसन रमे परिवार में हुआ तथा उन पर जैन धर्म का गहरा प्रभाव भी पड़ा।

विद्यार्थी के रूप में महात्मा गांधी :-

महात्मा गांधी जी एक साधारण विद्यार्थी थे। वह पढ़ाई और खेल, दोनों में एक साधारण थे। पर फिर भी उन्होंने छात्रविर्तीया ओर पुरस्कार भी जीतें। पिता जी की सेवा करना, घर के कार्य में मां का हाथ बटाना और उन्हें इसके अतिरिक्त समय मिलने पर दूर तक टहलना, उन्हें पसंद था।

युवा अवस्था में गांधी जी:-

मोहनदास ने 1887 में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली और भावनगर में ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिल लिया। अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा पढ़ने से उन्हें व्याख्यानो को समझने में थोड़ी दिक्क्त होने लगी। इसी बीच उनके परिवार वाले उनके भविष्य को लेकर चर्चा में थे। अगर निर्णय उनपर छोड़ दिया जाता तो वे डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की अनुमति नहीं थी। साथ ही यह भी स्पष्ट था, कि उन्हें गुजरात के किसी भी राजघराने में उच्च पद प्राप्त की परम्परा भी निभानी थी। तो उन्हें वकील बनना पड़ेगा, ऐसे में उन्हें इंग्लैण्ड जाना पड़ा। वैसे भी गांधी का मन उनके सामलदास कॉलेज” में नहीं लग रहा था, इसलिए उन्होंने इंग्लैंड जाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। उनके मन में इंग्लैंड की छवि दार्शनिकों ओर कवियों की भूमि, सम्पूर्ण सभ्यता केंद्र के रूप में थी

वह सितम्बर 1888 को लंदन पहुंच गए। वहां पहुंचते ही 10 दिन बाद लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक ‘इनर टेंपल’ में दाखिल हो गए

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टांसवाल सरकार ने 1906 में दक्षिण अफ्रीका की भारतीय लोगो के पंजीकरण के लिए विशेष रूप से अपमानजनक उद्देश्य जारी किये। तभी 1906 सितंबर में भारतीयो ने जोहेन्सवर्ग में गांधी जी के नेतृत्व में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और उद्देश्य का उल्लंघन तथा इनके फलस्वरूप दंड भुगतने की शपथ ली। इसी कारण सत्याग्रह का जन्म हुआ। जो किसी को छति पहुचाने के बजाये, बिना किसी हिंसा के उनसे लड़ने की नयी तकनीक थी।

इसके परिणामस्वरूप दक्षिण अफ्रीका में सात वर्ष से अधिक समय तक संघर्ष चलता रहा। इसमें कई उतार-चढाव भी आते रहे। लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में भारतीय अल्पसंख्यको के छोटे से समुदाय संघर्ष जारी रखा। कई भारतीय ने अपने स्वाभीमन  को चोट पहुंचने वाले इस कानून के सामने झुकने के बजाय, अपनी आजीविका तथा स्वतंत्रता की बलि चढ़ाना ज्यादा पसंद किया।

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जब गांधी जी भारत वापिस लौटे:-

गांधी जी 1914 में भारत वापिस लौट आए। देशप्रेमियो ने उनका स्वागत किया। और उन्हें महात्मा ( बापू ) पुकारने लगे। महात्मा जी ने अगले चार साल भारतीय स्थिति का अध्यान किया तथा उन लोगो को तैयार किया जो सत्याग्रह के द्वारन भारत में प्रचलित राजनितिक व सामाजिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सकने में सक्षम हों।

अंग्रेजो द्वारा बनाए गए कानून सन 1919 फ़रवरी में, जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमा चलाए सीधे जेल में भेजने का प्रावधान था। उन्होंने अंग्रेजो के नियमो का विरोध किया। फिर महात्मा गांधी ने सत्य सत्याग्रह आंदोलन की घोसणा कर दी, इनके फलस्वरूप राजनितिक में ऐसा भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में पूरे उपमाद्वीप को हिला दिया।

इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्र के लिए किये गए अभियानों में सत्याग्रह और अहिंसा का विरोध जारी रखा जैसे कि दांडी यात्रा तथा भारत छोड़ो आंदोलन, इत्यादि। गांधी जी के इन सभी प्रयासों से भारतीयों को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रा मिल गई।

महात्मा गांघी द्वारा आंदोलन:-

असहयोग आंदोलन:- गाँधी जी को जलियावाला बाग़ नरसंहार से यहा स्पष्ट हुआ कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की मांग करना व्यर्थ है। इसलिए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य असहयोग आंदोलन चलाया।

यहा आंदोलन, लाखो भारतीयों के एक-जुट होने से अत्यधिक सफल रहा। इससे ब्रिटिश सरकार को भरी प्रभाव पड़ा।

नमक सत्याग्रह आंदोलन:-12 मार्च 1920 से, अहमदाबाद के सावरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकला गया। यह आंदोलन जो ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ किया गया। जो कि गांधी जी द्वारा किये गये आंदोलनों में से यह आंदोलन सर्वधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

भारत छोड़ो आंदोलन:- ब्रिटिश सरकार से, भारत को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के द्वारान भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942  को शुरू किया गया।

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन:- ब्रिटिश गरीब किसानो से कम मूल्य पर जबरदस्ती नील की खेती करा रहे थे। इनसे किसानो की भूखे मरने की नौबत आ गयी। ये आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में 1917 को शुरू किया गया। यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जित थी। 

निष्कर्ष:-

महात्मा गांधी जी भारत एवं भारतीय आंदोलन के एक प्रमुख राजनितिक एवं आध्यांत्मिक नेता थे। उन्हें देशवासी प्रेम से बापू भी पुकारते एवं वह हमारे राष्ट्रिय के राष्ट्रिपिता के नाम से आज भी जाने जाते है। महात्मा गाँधी जी के पूर्व शांति और अहिंसा के बारे में आज भी लोग रूबरू है, इसी कारण उन्हने सत्याग्रह, शांति एवं अहिंसा के रास्तो पर चलते हुए अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसलिए सयुक्त राष्ट्री संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में बनाये जाने की घोषणा की है। 

महात्मा गांधी जी शांति और अहिंसा के भी प्रतीक है। इन महान व्यक्ति को 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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